दिल के अंदर एक बवंडर उठता है ...
जाने वह किस के मुकद्दर लिखा है ...
दिल जलाया हमने अपना जिसके खातिर...
जाने किसकी जुल्फ के साए बैठा है...
दीदा ए शौक़ और उसकी तमन्ना में ...
आंखों ने कई रात जगाए रखा है ...
भंवर में डूबना तय है दिल की कश्ती का ..
जिद्दी दिल ये किनारे की उमीद लगाए बैठा है।-
किया जो आज कहाँ बार बार करती हूँ
किसी किसी पे मैं यूँ ऐतबार करती हूँ
सियाह ज़ुल्फ़ों में बाँधे उमीद के जुगनू
मैं तीरगी में तेरा इंतज़ार करती हूँ-
उम्मीद उनसे करो जो साथ निभा पाए।
उनसे नहीं जो मौसम की तरह बदल जाए।-
हर दिन डूब जाता है सूरज ख़्वाहिशो के साथ
हर रात नई ख्वाब देखता है नई उमीदो के साथ-
खयाल जिसका था मुझे खयाल में मिला मुझे
सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे ।।-
इम्तिहान की सख्ती से परहेज़ नहीं हमें,
बस ये इंतज़ार की बेहद घडियां भारी लगतीं हैं हमें।-
ए जिंदगी तुझ पर अब ऐतबार न रहा
दिए है ज़ख्म तूने इतने, के अब ग़मो का हिसाब न रहा ।
टूटी है उमीद हर कदम मेरी के अब आँखो मैं कोई ख़्वाब न रहा ।-
इक दिन आयेगा शायद जब वो हमें समझेगा
जिंदगी का वो दिन बड़ा ही ख़ुशी का पल होगा,
कहीं इंतज़ार करते -करते वक्त निकल न जाए कहीं
उम्मीद का दीया जलते-जलते बुझ न जाए कहीं ।-