बाबुल, ना बांध मुझे इस रीति की डोरी में।
मुझे अभी नहीं निभानी आती प्रीति।
माना हो गई हूं मैं सयानी,पर नहीं आती मुझे प्रीत निभानी।
माना हो गई है, उमर बाली मेरी, पर समझ नहीं है रीति की।
बाबुल ना कर तू ज़िद, अभी है मुझमें हिम्मत कुछ कर दिखाने की।
ना समझ हूं,पर है थोड़ी समझ बाकी, पहले खड़े हो लेने दो अपने पैरों पर मुझे, काबिल बन जाऊ मैं भी।।
हैं कसम तेरे सर को झुकने ना दूंगी, किसी और को शामिल होने ना दूंगी
मुझे उड़ने दो, अभी मेरे पंखों मैं है, जान बाक़ी।
मिल जाने दो पहले मंज़िल मेरी, नाम से तेरे मैं जानी जाऊ।
बस यही है तमन्ना मेरी, मेरे नाम के साथ D/O हो तेरा।
ना होने दो किसी और को शामिल।🙏🏻
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