अंधकार की गठरी तोड़ अब तो रोशनी से नाता जोड़ काले बादलों की वेला छोड़ प्रकाश की ओर खुद को मोड़ उस सा सूरज का तेज बन नाकामियों को ऐसे पीछे छोड़ मन की खुशियों का ताला तोड़ भीतर के दर्द को अब छोड़ सब मुमकिन इस जहां में होगा तू एक बार तो अपनी बन्द गुफा में उस ख़ुशी के जुगनू को तो छोड़ सारे जहां में मुस्कान बनाये रखे और अपने अंदर तू खुद को दबाये रखे इस अंदाज को अब तू बिलकुल छोड़ अब तो उजाला मन में करने की वो कशिश सी तू कर होड़ सब खूबसूरत सा महकेगा ये मन तेरा अपने मन का वो बन्द मायूसी का ताला धीरे ही सही बस तोड़