____________________________________ मेरी ईमानदारी बदनाम हुई कच्ची चार दिवारी है इसकी हर ईंट को वाक़ई इंसानियत की बीमारी है ____________________________________ वो खिड़कियां भी बन्द होने पर अंकुश लगातीं है जिसके उसूल वक्त बेवक़्त अशफ़ाको से भारी है ____________________________________ बाज़ार बनावटी बातों का हर कोई यहाँ लगाता है मन झांका तो देखा लोगों की सारी फूटी तगारी है ____________________________________ सूफ़ीपन है जिसको वो हर वक़्त तमीज़ सिखाता है देखा तो लगा लोगों के इल्तिफ़ात ही बड़े आवारी है ____________________________________