QUOTES ON #इज़्ज़त

#इज़्ज़त quotes

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16 MAR 2021 AT 18:36

इज़्ज़त ....
शब्द एक, दृष्टिकोण अनेक
अगर किसी स्त्री के तन को कोई ज़बरन छू ले
या उसे अपनी हवस का शिकार बना ले
तो हमेशा यही क्यूं कहा जाता है कि
सिर्फ़ उस स्त्री की ही इज़्ज़त चली गयी
और पुरुष........
क्या उस पुरुष की इज़्ज़त नहीं जाती ?
यदि स्त्री की इज़्ज़त को उसके तन में समाहित माना जाता है
तो पुरुष का शरीर इससे अछूता क्यूं रह जाता है
या फिर पुरुष के तन में उसकी इज़्ज़त रहती ही नहीं है
या फिर उसकी इज़्ज़त उसके शरीर में ना रहकर कहीं और रहती है

अकसर खबरों में यही सुनाया और दिखाया जाता है कि
युवक द्वारा युवती की इज़्ज़त लूट ली गयी,
तो क्या सिर्फ़ उस स्त्री की ही इज़्ज़त लूटी जाती है,
क्या उस स्त्री के समक्ष उस पुरुष की इज़्ज़त नहीं जाती,
अगर इज़्ज़त शरीर में ही समाहित होता है
तो इज़्ज़त तो दोनों की ही जाती है
फ़र्क तो यही होता है कि
एक की ज़बरन लूटी जाती है
तो दूसरा अपनी मर्ज़ी से लुटा आता है
अगर इज़्ज़त जाने से स्त्री की पवित्रता चली जाती है
उसे इस समाज में उसकी पवित्रता के साथ स्वीकार नहीं किया जाता,
तो जिसने उस स्त्री की इज़्ज़त को तारतार कर दिया
उसे इसी समाज के लोग इतनी आसानी से क्यूं स्वीकार कर लेते हैं
उसके कुकर्म को इसी समाज के लोग इतनी जल्दी क्यूं भूल जाते हैं
जबतक इस ज़मीनी स्तर पर स्त्री - पुरुष समान नहीं हो सकते
तबतक दोनों में समानता की बातें करना व्यर्थ जान पड़ता है

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10 JUL 2020 AT 19:47

लड़की की इज़्ज़त ओस की बूंद जैसी होती है
पत्ते से गिरते हीं अस्तित्व ख़त्म

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29 JUL 2020 AT 8:50

अब अपने घर के
साथ साथ,
ससुराल की इज़्ज़त का
बोझ भी
मेरे कंधों पर डाल दिया जाएगा,
जब बोलूँगी मुझे मेरे
ख्वाब पूरे करने है,
तो सही वक्त नही है अभी,
बोलकर मेरी बात को
टाल दिया जाएगा..!!

लड़की हूँ ना,
अपने माँ बाप के साथ साथ
अब मुझे उसके माँ बाप को भी
अपनाना होगा,
मानकर उनकी हर एक बात,
ना जाने रोज़ मुझे
अपने कितने ख्वाबों को
दफनाना होगा..!!

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9 FEB 2022 AT 17:31

'कमाई' हर 'सौदे' में होती हैं 'अभि'।
कभी नोटों की तो कभी इज़्ज़त की।— % &

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24 NOV 2018 AT 15:02

उनसे लड़ाई हो तो मैं ख़ुद, अपनी अना को हरा देता हूँ
जो ख़ुद मेरी इज़्ज़त हैं, उनके सामने आख़िर अना कैसी

- साकेत गर्ग 'सागा'

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14 JAN 2018 AT 22:50

ना दौलत, ना शोहरत,
ना इज़्ज़त बख्शना मेरे ख़ुदा
मेरे यार की 'क़ुर्बत' हो हर रात हो
बस ऐसी ज़िन्दगी बख्शना मेरे ख़ुदा

- साकेत गर्ग 'सागा'

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26 JUL 2017 AT 22:18

है व्यथित आज मन ये मेरा
किस ओर चला जीवन ये मेरा
कर्म लिखाकर विधाता से चली
डर डर कर गर्भ में भी मैं पली
जीवन पाते ही ड्योढ़ी में सिमटी
दो अभेद्य द्वारों की सीमा पर लड़ी
देश मेरा आज़ाद है जी , बस हवा ज़रा तंग है
कागजों पर ही लड़ी जाती यहां हर एक जंग है
देखकर दोमुहां संहिता विधाता भी दंग है
कपड़ों से इज़्ज़त, संस्कार तौली जाती
चाँद छुए तो बेशर्म कही जाती है
हाँ ये मेरा वही भारत है , जहां
नारी पूजनीय मानी जाती है
कभी वो हवा में झूलती है
कभी हवन हो जाती है

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5 MAR 2018 AT 21:42

क्योंकि मैं लड़की हूँ.......!
(कृपया अनुशीर्षक में पढ़े)

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9 OCT 2021 AT 15:09

गर कहीं पर आपकी इज़्ज़त ना हो, बरकत ना हो
उस जगह को वक़्त रहते छोड़ देना चाहिए।।

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23 OCT 2020 AT 13:09

जो हमें अपने सामने देख कर सलाम करते है,
अक्सर वहीं हमें पीठ पीछे बदनाम भी करते है,

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