QUOTES ON #इज़हार

#इज़हार quotes

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8 FEB 2020 AT 12:07

झूठी रुसवाई का
पता तो चले क्या होता दर्द जुदाई का

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8 FEB 2022 AT 11:01

नयी शुरुआत तो करो
क्या पता हम रहें ना रहें
थोड़ा दीदार तो करो।।— % &

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8 FEB 2020 AT 11:34

तुम्हारे साथ रहते रहते तुम्हारी चाहत सी हो गयी हैं
तुमसे बात करते करते तुम्हारी आदत सी हो गयी हैं
एक पल न मिले तो बेचैनी सी लगती हैं
हम अपने प्यार का इज़हार इसलिए नहीं करते हैं
क्यूंकि में तुम्हारी हाँ या ना से डरता हूं
अगर तुमने हां कर दी तो हम ख़ुशी से मर जायेंगे
और अगर ना कर दी तो रो रो के मर जायेंगे
यूँ तो सपने बहुत हसीन होते है ,
पर सपनो से प्यार नहीं करते ,
चाहते तो तुम्हे हम आज भी है
बस इज़हार नहीं करते

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8 FEB 2020 AT 11:16

चलो आज हम इज़हार करते हैं
एक दूसरे पर इख़्तियार करते हैं

कल की किसको ख़बर क्या हो
ख़त्म ये अपना इन्तज़ार करते हैं

जो जलते हैं उन्हें जलाएँगे चलो
इश्क़ का आज इश़्तहार करते हैं

तुम मुझसे इक़रार करना "आरिफ़"
यूँ अपने नाम सारे अख़बार करते हैं

"कोरा काग़ज़" नहीं है इश्क़ अपना
कलम से उसपर जाँनिसार करते हैं

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8 FEB 2020 AT 14:14

ज़हन में आज फिर नई आस छा गई
जो भूली थी कभी वो याद आ गई
कभी मिलने का वादा था
साथ चलने का इरादा था
हवा कुछ ऐसी चली की बरसात आ गई
जो भूली थी कभी वो याद आ गई

हाथ छूटे थे जब सफर में
फसे थे हम हालातों के भवर में
मिलने का गुलशाद हम इज़हार करते रहे
और दूरियों की फ़रियाद आ गई
जो भूली थी कभी वो याद आ गई

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20 MAY 2020 AT 12:07

सुनो साहिबा..
लॉक डाउन के बाद अपने प्यार का इज़हार करेगें..
तुम्हारे लबों के साये में बैठ,नैना चार करेगें..!

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5 JUN 2018 AT 17:25

जब से रंग लगा है मेरी रूह को तेरे इश्क़ का
तुमको रंग-ए-हर्फ़ में धोल कर निखारने लगा हूँ

उभर आती है नई नई रंग-ए-हसरत देख कर तुमको
खुद की तमाम खुशियों को तुम में तलाशने लगा हूँ

हो न बात,मुलाकात तो रहता हूँ अधूरा सा
तुमको खुद का एक हिस्सा अब मनाने लगा हूँ

हा है इश्क़ तुमसे, कहो तो इज़हार सरेआम कर दूँ
दुनिया की परवाह नही,बस तेरी फिक्र बेहिसाब करने लगा हूँ

ना मंजूर हो मोहब्बत मेरी तो नब्ज-ए-हयात रोक देना
ये मेरी ज़िन्दगी तुम्हारी, तुम्हारे हवाले करने लगा हूँ

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8 FEB 2020 AT 10:47

कि
तुझसे बेहद प्यार करते हैं|

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8 JUN 2020 AT 11:19

"अभी कल की बात थी", मुझे बेकरार किया था।
घुटनों पे बैठ-गुलाब देकर, यूँ इज़हार किया था।
एक पहर में ही तोड़ दिया, रिश्ता गलतफहमी में...
आज पूछते हैं वो कि, मैंने कब प्यार किया था।

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8 FEB 2020 AT 14:00




मुझे इज़हार-ए-इश़्क की ख्वाहिश भी नहीं।
प्यार तो बस प्यार है ये कोई नुम़ाइश नहीं।
मैंने तो हर इक ह़सी इश्रत़ तुम्हीं में देखा है।
मुझे मेरी किस्म़त से कोई शिक़ायत भी नहीं।

यह रूह के रिश्ते भी बहुत अज़ल के होते हैं।
ये काफ़िले ह़सीन यादों के भी कहाँ खोते हैं।
जिस्म़ मिटते हैं बस ये तस्वीर बदल जाती है।
मगर सिलसिले प्यार के कभी रूकते ही नहीं।

तेरी इश्क़ की चाह को बन्दिशें नही मिटायेंगी।
पाक मुहब्बत की सद़ा खुद तेरे करीब आयेंगी।
उनकी प्यासी नज़रें शिनाख़्त तेरी भी कर लेंगी।
पुख़्ता लकीरें तकदीर से कभी मिटती ही नहीं।

उनसे हर जनम में बस इक़रारे ब़फा कर लेना।
बस लगकर उनसे तुम गले पहचान नई दे देना।
मैंने तो तेरे सिवा कोई ख्वाब यहाँ देखा भी नहीं।
मुझे इज़हार-ए-इश़्क की कोई ख्वाहिश भी नहीं।

प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला।
इश्रत़= आनन्द अज़ल= जन्म जन्मान्तर से

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