कोई कह दो उससे , मुझे यूं सताया न जाए,
मैं सो रहा हूं जो, तो मुझे जगाया न जाए!
मेरी चौखट पे, जो आ खड़ी हो वो "तन्हाई",
इस्तकबाल करो फिर, उसे भगाया न जाए!
मेरी कलम से पहली बार लफ्ज़ रूखा निकला
आंखों से है गुजारिश, इसे भिगाया न जाए!
मेरी दीवारों से सारी तस्वीरें गिर ही गई हैं जो,
बाहर फैंको, फिर इन्हें वहां लगाया न जाए!
मेरी छोटी सी हंसी, का फिर जनाजा निकला,
मेरे मालिक इसे होंठों पे कभी उगाया न जाए!
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