सुनो , चलते हैं उन्हीं बनारस की गलियों में
करते हैं इश्क वही जीते हैं उन्हीं क्षणों में
तुम करना इश्क कुनदन सा
पर जोया जैसी वेबफा न में
प्यार करूंगी तुमसे कुनदन
बिंदीया जैसे टूटकर में ।
चलते हैं उन्हीं बनारस की गलियों में
फिर से खो जाने को
आ जाओ इस बार वापस
बिंदीया के हो जाने को ।
-