QUOTES ON #इल्तिज़ा

#इल्तिज़ा quotes

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14 JUL 2021 AT 8:54

क्यों हो तुम ऐसे गुमसुम, जरा तो मुस्कराया करो,
कब तक बेबसी में तुम खुद को क्यूँ जलाया करो!

हंस के बोला करो, बेझिझक मुझे भी बुलाया करो,
ये तेरा ही तो घर है, हक से आया जाया भी करो!

क्यूँ रोज रात को तलाशती हो तुम मुझे ख़्वाबों में,
तसल्ली हो जाएगी तुम्हे रूबरू मिल जाया करो!

रोज लिखता हूँ मैं तुमको कागज़ पर हर्फ़ दर हर्फ़,
बनके मुकम्मल असआर ग़ज़ल बन जाया करो!

गुजर चुके हैं अनगिनत मौसम सावन से पतझड़,
बन के बसंत तुम अब तो, जिंदगी में आया करो!

सुर बेसुर तो हो चुके, लय ताल भी अब खो चुके,
बन के पायल की झंकार, तरन्नुम बन जाया करो!

बस एक आखिरी इल्तिजा है जो तुमको इल्म रहे, _राज सोनी
हूँ मैं दरबदर, "राज" का ठिकाना बन जाया करो!

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26 JAN 2020 AT 21:17

अधूरी सी दास्ताँ की बस इतनी सी इल्तिज़ा है
या तो वजह बता दे या बता क्या तेरी रज़ा है..!!
#अर्चना_सिंह

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24 JUN 2017 AT 2:43

अहसास भी उसी से मिले
जिससे हैं यह घाव मिले
कैसे करूँ शिक़वे..
कैसे करूँ मैं उससे गिले

उसी ने तो इश्क़ का मतलब, था सिखलाया
बनके महताब..
मेरी स्याह काली रात को, था चमकाया
आज अगर वो बेवफ़ा हो गयी तो क्या
वफ़ा का पाठ भी तो, उसी ने था पढ़ाया
बस अब इतनी सी है दुआ
मेरी सुन ले वो इतनी सी इल्तिज़ा
अपना दामन वो, और नापाक ना होने दे
अब किसी और को, उसे बेवफ़ा ना कहने दे
जो हमराह उसने अब चुना है
वो उसी का सानी रहे,
उसी से शुरू, उसी पर ख़त्म
उसकी ज़िंदगानी रहे
- साकेत गर्ग

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28 JAN 2020 AT 8:48

मेरे साथ ज़रा एक उम्र बिता लो
बस इतनी ही इल्तिज़ा है तुमसे

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11 OCT 2020 AT 14:25

ऐ हमनसी तुझसे यहीं है इल्तिज़ा मेरी
मिलके सांसो में मेरी तू जाँ हो जा मेरी।

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17 FEB 2020 AT 10:10

नफ़रत सी होने लगी है तुमसे
पर तुम्हें कभी बद्दुआ नहीं दूँगी
रहे तू सलामत ज़िन्दगी में सदा
हो मुक़म्मल तेरी हर ख्वाहिश
ख़ुदा से यही इल्तिज़ा करूँगी।।

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26 MAR 2020 AT 9:58

यार इतनी सी इल्तिज़ा है ......

ग़म-ए-हयात से ही भरा न करो यादों के लम्हें ,
गुज़रे ख़ुशमिज़ाजी पलों से भी रंगीन कर लो यादों के पन्ने ।।

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7 SEP 2019 AT 23:46

इल्तिज़ा है जो तेरे दिल की,
जुनूनियत बन गई है अब ये मेरी..
हम तुझमें खुद को फना कर चुके हैं,
तुझ से ही चलती है अब सांस मेरी..

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25 AUG 2021 AT 10:57

1222 1222 122
कभी मजबूर होता है दुआ से।
बरसता आसमाँ भी इल्तिज़ा से।1

मुझे उससे मुहब्बत हो गई थी
उसे इंकार ही था इब्तिदा से।2

मुझे शामें बताती हैं ये आकर
चुराया रंग हैं तेरी क़बा से।3

नए अंदाज़ से तुम शम्अ देखो
नज़ाकत लौ में है जलती अदा से।4

हवाएँ चल रही हैं चाल ऐसी
ये बारिश ही चुरा लेंगी घटा से।5

उसे आता है अपना ग़म छुपाना
हमेशा मुस्कुराहट की रिदा से।6

पनप जाएगी दिल में तब मुहब्बत
"रिया" सींचोगी ग़र इसको वफ़ा से।7

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13 OCT 2022 AT 23:45

2212 2212 2212 22
ये रात की मदहोशियाँ आवाज़ हैं देती
सुनकर न कर तू अनसुना है इल्तिज़ा मेरी

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