जलती रहूँगी उम्र भर तेरी चौखट पर मैं...
तू शमा अपनी मुझे बना कर तो देख.!
ना छोडूंगी तन्हा कभी ज़िंदगी के सफ़र में मैं,
तू साथ मेरे कदम अपने बढ़ा कर तो देख.!
खिलेंगे फूल मोहब्बत के हर इक डाली पर..
अपने प्यार को वफ़ा से तू सींच कर तो देख.!
सुनाएगा खुदा भी अपने ही हक़ में फैसला..
तू थामकर हाथ,अपना मुझे बनाकर तो देख.!
मौत भी आयी तो जाने से कर दूँगी इन्कार मैं..
तू इक बार ज़िंदगी अपनी,मुझे बनाकर तो देख!
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