झपट पड़ा आज आख़िर वो,
मिटाने को हर निशां..
तन को रहा टटोलता वो,
रूह छटपटाती रही ..
जो पा न सका इक कोना भी वो,
तो फूट पड़े फ़िर आँसू बेहिसाब . .
मुझे हूबहू चाहने की बात करता था वो,
तारीकी से दूर हो खफ़ा है नादाँ..
हूँ समर्पित उसको फ़िर भी बेचैन है वो,
कहता है बगैर इश्क़ क़ामिल नही रिश्ता कोई..
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