यूं ही मन में दबी रह गई तुम्हारी यादों की तस्वीर दिल में , बनी कि बनी रह गई । तुम्हारी यादें बेवफा ना निकली तुम्हारी तरह , तुम तो चले गए , पर ये वही का वही रह गई । भूलने चले थे तुम्हारे खातिर हम दुनिया को , लेकिन तुम्हारी बेवफाई हमें कही और ही ले गई।
अनगिनत इच्छाएं है मेरे मन की जब जब सोचु तुझे भूलने की तेरी यादे सामने आ जाती है कभी हसाती है कभी रुला जाती है अनगिनत इच्छाए है मेरे मन की हर बार लडू में तुझसे दूर जाने को फिर न जाने क्यों तेरे पास आने का मन करे अनगिनत इच्छाए है मेरे मन की ये ता उम्र तेरे साथ रहने को चाहे अनगिनत इच्छाए है मेरी।।।
कभी लाभ न देत है... जियो जियो बढती जात है.. लोभ से मन भर देत है.. जिस मन संतोष बसा... सुकून उसी मन बसा... जो थोड़े में सबर करत है... वही उचाई पर पग धरत है... ना रख बन्दे इतनी इच्छा.. रब की इच्छा से सब होत है.. झूठे का तू रोवत है... मनन रख अनगिनत इच्छाएं मन की.. कभी लाभ न देत है...