इस जहां से दूर एक आशियाँ मैंने सजाया है, चुराकर तुमको अपनी नज़रों में छुपाया है, देख ना ले कोई और इसलिए पलकों को झुकाया है, तेरी मौजूदगी ने इन निगाहों को जन्नत बनाया है।
बारिश की अपनी मन मर्जिया चलने कहा दे रही हैं जिंदगिया जल मग्न हो गया हैं सारा जहाँ जहाँ देखो वहाँ बारिशों में समा डूब रही हैं बारिश में घर ये जहाँ डूब रही यहाँ लोगो का आसियाँ कितनों को बाढ़ में डूबना हैं तो कितनों की बाकी जिंदगिया