अरे! आग़ाज़ कर तो सही, तू अंज़ाम की फ़िक्र न कर,
बडा बन जाएगा नाम तेरा भी तू नाम की फ़िक्र न कर।
हाथों में लेकर घूम अभी ज़रा, झुनझुने औ' लॉलीपॉप,
तू फ़क़त राजनीति कर, इस आवाम की फिक्र न कर।
बना सबको रिंद, ख़ुद ही दौड़े चले आएँगे मयख़ाने में,
महफ़िल जमेगी फिर हसीन, तू जाम की फ़िक्र न कर।
लाता रह बाढ़ झूठे वायदों की, फ़क़त ख़ुद को चमका,
मुद्दे कम हैं क्या जाति-धर्म के, काम की फ़िक्र न कर।
मरने के लिए ही ये पैदा हुए हैं, हथिया तख़्त-ओ-ताज,
तू सिर्फ शतरंज खेल इनके कत्लेआम की फ़िक्र न कर।
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