QUOTES ON #आयत

#आयत quotes

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14 MAR 2020 AT 19:24

अता ज़मीर-ए-वजू जरा तू भी कर जज्बात,
ख़्वाहिश तेरी अब मुक़द्दस 'आयतों' सी है !!

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10 APR 2018 AT 1:48

न जाने कैसे तुम से, यह 'मोहब्बत' सी हो गयी
नहीं संभल रहा दिल, अब 'हो गयी तो हो गयी'

दिल ढूँढता है तुम्हें, हर दर-सहर-शब 'पल-पल'
लगता है मुझे अब तुम्हारी, 'आदत' भी हो गयी

तुम कुछ कर सको तो, कर के देख लो 'उपाय'
मेरी तो हर एक कोशिश, अब नाक़ाम हो गयी

जो हो जाये तुम से, बस कुछ पल की 'गुफ़्तगू'
मैं ख़ुशनुमा, ख़ुशनुमा सारी 'क़ायनात' हो गयी

जो खोया रहूँ ख़यालो में तुम्हारे, ऐसा लगे जैसे
बिन श्लोक-आयत-वाणी पढ़े, 'इबादत' हो गयी

सुनो ना! सच कह रहा हूँ मैं, मान भी जाओ ना
हाँ मुझे हो गयी! 'सच्ची-मुच्ची', सच में हो गयी

- साकेत गर्ग 'सागा'

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25 AUG 2021 AT 19:57

मैं तुम्हें आयतों की तरह पढूंगी,
तुम‌ मुझे किसी नज्म सा लिख देना..

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4 FEB 2018 AT 13:20

पढ़ते नहीं आपको, क्या ऐसा हुआ कभी
कहीं ये हमारे लिये आपकी शिकायत तो नहीं

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22 JAN 2018 AT 7:29

ज़रूरते भी जरूरतो से ज्यादा शिकायते करने लगी है
कमाया दो पैसा नही और आज हिदायते करने लगी है

सुझाव देती हमेशा से कुछ खनकती टकसालों के खनक सी
ख़्वाब अधूरे देख अब जमीन पर मेरे लिए आयत बनाने लगी है.!!

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9 JAN 2020 AT 13:55

'आयत:मेरी सोलफ्रेंड'
हर पल हर लम्हा उसे मेरे खुशी की परवाह रहती है
मैं क़भी भी उदास और तन्हा मुसाफिर वाले दौर में न जाऊँ उसे इस बात की परवाह रहती है
अल्लाह ने अपने रहमत को भेजा है मेरा दोस्त बनाकर जो खुद में ही मुकम्मल जहान रखती है
कलाकारी तो इनमें मानो कूट-कूट कर भरी हुई है
हरदम चित्रकारी, गीतकारी और नाटककारिता को ये तैयार रहती है
बड़ी खुशी की बात है कि मिले हो आप मुझे ऐ दोस्त दो बार सोचता हूँ उदासी भरे नज्म लिखने के पहले
क्योंकि कोई पागल है जिसे मेरे खुश होने की फ़िकर और ख़्याल रखतीं है
पागल इसलिए क्योंकि उसे कोई फरक नही पड़ता है उस रब के बन्दें को
कि कोई क्या सोचता है वो बेबाक़ सी दोस्त है जिसे बस अपने दोस्त की सलामती की इल्म ए खास रहती है
जब कभी अगर न चाहते हुए भी लिख देता हूँ दर्दभरी नज़्म कोई तुरंत अपनी जुबान पर मेरी उदासी की वजह ए सवाल रखती है
वो सोलफ्रेंड है मेरी हर पल हर लम्हा मेरा ख्याल रखतीं है
वो पागल सी एक बच्ची है रब के हर बन्दे से एक जैसा प्यार भरा व्यवहार ए एहसास रखती है

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17 JAN 2019 AT 21:44

अधूरा था मगर खास था
यह इश्क़ एक आयत सा पाक था।

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3 MAY 2018 AT 18:50

जब उसका नूर दिखेगा हर सूरत में
तब, नहीं ढूंढना पड़ेगा उसे किसी भी मूरत में

जब उसकी झलक दिखेगी हर चाहत में
तब, नहीं खोजना पड़ेगा उसे किसी भी आयत में।

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30 OCT 2021 AT 10:32

जब भी तनहा होते हैं,
रो लेते हैं हम|
अल्लाह की इबादत में,
खुद को खो लेते हैं हम|
टूटे ख्वाब में भी, उम्मीद नजर आती है,
जब सो लेते हैं,खुदा की आयत पढ़कर हम |

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14 AUG 2017 AT 8:18

मेरी तकदीर को यूं न कोसा करो,
ये बनी तेरी आयतों से है ।

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