बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?
अदृश्य से धागों में जादू पिरोता हुआ कलाकार,
उसके जादू से नाचती हुई कठपुतलियां,
और इन सब से मंत्रमुग्ध हुए, ताली बजाते हम|
बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?
आज भी होता है कठपुतली का ये खेल|
अदृश्य धागों में जादू पिरो रहें है लोभ, धर्म, और जातिवाद,
इन जादुओं से अनैतिक, असंवेदनशील होकर नाच रहे हैं हम|
बस यह नहीं दिख रहा कि ताली कौन बजा रहा है?
बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?
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