चाहे कितनों भी घुमा लो रस्सी को, मज़बूती तब तक न आएगी, जबतक रस्सी में 'गाँठ' न लग जाए..
दोस्तों, कुछ इस तरह ही, आपके जीवन में, आपको, आपके सुख-दुःख में, अपने प्यार रूपी रस्सी से सदैव आपको, अपने हृदय में बाँधकर रखने वाले यार,दोस्त भी आपके जीवन का महत्वपूर्ण अंग है.. और इस प्रेम रूपी रस्सी में गाँठ जितनी भी लगती जाएगी, यह रस्सी और भी मजबूत होती जाएगी.. अपने हृदयतल से अपने सभी सखा, मित्र, बंधु, यार, दोस्त के लिए, कही पढ़ी गई दो पँक्ति लिखना चाहता हूँ..
ऐ-ख़ुदा अपने अदालत में मेरी ज़मानत रखना..
मैं रहूँ न रहूँ, तू मेरे दोस्तों को सलामत रखना..
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