QUOTES ON #आक्रोश

#आक्रोश quotes

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3 SEP 2019 AT 11:03

एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ--
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।

- धूमिल

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23 MAY 2020 AT 23:19

-धूमिल

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5 AUG 2021 AT 12:39

उफ.. ये नजरे क़ातिलाना है
एक ही पल में दिल को घायल कर दिया
बर्फ जैसे जमे हुए दिल को
पिघला कर माेम बना दिया
हाय रे गजब की अदा है इन आँखों में

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27 JUL 2021 AT 11:19

नारीत्व भूली नारी,,
तहजीब भुला इंसान।
ना प्रेम समर्पण सहनशीलता,,
नाहीं बड़ों का सम्मान।

भारत का गौरव,,
मानवता की ढाल।
टूटी संस्कारों की माला,,
बिखरे मोती लाख सवाल।

इंसानियत मिटती गई,,
धर्मों में बटती गई।
भेद ये गोरा काला,,
सर्वत्र हिंसा आक्रोश ज्वाला।

आओ समेटे नेह मूर्ति,,
प्रेम बनाए अमन यहां।
अदब से रहे हर व्यक्ति,,
सभ्यता से भरा हो जहां।

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28 APR 2021 AT 11:35

"त्रासदीयां" ही "क्रान्तियां" को "जन्म" देती है..!!
:--स्तुति

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4 FEB 2021 AT 21:10

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1 OCT 2020 AT 18:57

आक्रोश की ज्वाला
फ़िर से बुझ जाएगी
कल कोई और निर्भया कटी
जुबां से अपनी व्यथा सुनाएगी!!

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18 FEB 2019 AT 10:36

छोड़ दो सियासत अभी मोदी जी करना
पहले पुलवामा का बदला लो बाद में चुनाव लड़ना

शहीदों की शहादत से पूरे देश में रोष है
कब सर्जिकल स्ट्राइक होगी हर भारतीय में आक्रोश है

एक इंच कम होने पर तुम फौज में नहीं लेते हो
बम विस्फोट में शहीद हुए जवान का एक छोटा टुकड़ा हाथ में देते हो
दुख उस माँ से पूछो जिसने खोया अपना लाल है
इंतजार में बैठा है पूरा भारत देश कब आये आतंकियों का काल है
कर दो फरमान जारी एक बार में पूरा आतंकवाद मिटा दो
फिर वोट किसको देनी है जनता को इतना तो होश है

42 के बदले ४४२ तुम सबको उपहार दो
भारत माँ के बेटों के कातिलों को तुम उनके घर में घुसके मार दो
क्या गलती कर बैठे हैं वो सबको कुछ तो आना होश है
तिरंगा फहराएगा जब कातिलों की लाश पर
तब हर एक भारतीय के दिल में सुकून का छाना जोश है ।

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15 AUG 2021 AT 0:28

यूँ ही नहीं मिली है आज़ादी,
है मूल्य चुकाए वीरों ने।

कुछ हँस कर लटके हैं फंदे पर
कुछ ने घाव सहे हैं कंधे पर,

कुछ वर्षों जकड़े रहे जंज़ीरों में
कुछ ने ज़ख्म सहे शमशीरों के।

यूँ ही नहीं मिली आज़ादी
कुछ दाम चुकाए है वीरों ने।

सत्तावन से शुरू हुई,सैंतालीस तक शुरू रही
सदियों वीरों के रक्त की नदी बही।

दृढ़ किया था उनके संकल्पों को
भारत माँ के नीरों ने,

यूँ ही नहीं मिली है आज़ादी
कुछ मूल्य चुकाए भारत माँ के वीरों ने।
( # READ IN CAPTION PLEASE)

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3 AUG 2021 AT 22:36

पकड़ कर तुझे एक बार बीच रास्ते में छोड़ देना है,

देखना है मुझे "किसी को मझदार " में फंसा तू मुस्कुरा कैसे लेता है..!!

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