QUOTES ON #आकांक्षा

#आकांक्षा quotes

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7 FEB 2021 AT 7:05

तुमने कहा...
तुम्हें ख़ुशबू पसंद है;
मैंने पुष्प रोपना चाहा
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तुमने कहा..
तुम्हें रौशनी पसंद है...
मैंने दीप जलाना चाहा
*
तुमने कहा..
तुम्हें संगीत पसंद है;
मैंने ठुमरी गीतों को
कंठस्थ करना चाहा।
*
तुमने कहा..
तुम्हें सौंदर्य आकर्षित करता है..
मैंने श्रृंगार करना चाहा
* * * * *
आज विचार करने पर पा रही हूं
मेरे हृदय की शून्यता को भरने मात्र के प्रयास में
मैंने तुम्हारे हृदय को अनंत आकांक्षाओं से भर देना चाहा।

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28 JUL 2017 AT 22:11

असंख्य होती है आकांक्षा-महत्त्वाकांक्षाएं
अब्ज की मर्यादा लांघी इस दुनिया में
करोड़ों होते है आस्मां मे बिखरी चांदनी की तरह यूं आसपास
लाखों के बराबर चंद लोगों की ही मौजूदगी हैं यहां...
हजारों दुखों के बजाय संस्मरण करुं सुखों की एक सौगात का...
आज सौवां करु प्रयास ढूंढने के लिए
दस रुप कुछ मेरे,कुछ इस जिंदगी के क्योंकि...
एक ही है जिंदगी, बार बार जीना चाहती हूं उसे...

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29 JUN 2019 AT 20:27

"आकांक्षा बड़ी है।"

मैं नीर हुँ पर इतनी जल्दी बह नही सकता।
दिल में पनपे सारी जज़्बात को जल्दी कह नही सकता।
निर्भर आप पर है चाहे कुछ भी कह लें आप।
सच तो ये है कि आपसे अलग मैं रह नही सकता।

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17 NOV 2021 AT 20:56

जब मेरी लेखनी श्रृंगार लिखती है
तो मिलन आकांक्षा तीव्र हो जाती है
प्रणय पल लिखते लिखते अनायास
लाज से मुख पर लालिमा छा जाती है

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28 JAN 2018 AT 13:32

मेरी जिंदगी में खुशिया तेरे बहाने से है,
कुछ तेरे रुठने से है,कुछ मेरे मनाने से है,
फसाना कैसे करु बयां मैं शब्दो मे,
सारी कायनात लगी हमे मिलाने मे है,

जो तुम समझ सको तो जाहिर करु,
ये सब बस अफसाने ही तो है,
जो कभी खामोशी समझो तुम,
तो बतलाऊ तुम्हें ये राज अनजाने ही तो है,

अनंत आकांक्षाए है इस मन की,
संभव नहीं है सबका पूर्ण हो पाना,
इन मायनो को समझ पाना मुश्किल है
जो बन्द पुराने तहखानो मे है,

फिर भी खवाहिश है इस दिल की,
कि कोशिश करु आखिरी श्वास तक मै ,
बहते अश्रुओं मे ही है मिलन हमारा,
इस हृदय मे वो आशा कल भी थी, आज भी है!

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28 MAR 2021 AT 16:40

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30 APR 2020 AT 11:42

गीतों में भरकर अन्तस् की पीर , अधरों पर मुस्कान सजाऊंगा ।
उद्गार ह्रदय का मधुर सुहावन , वसुधा पर ला बिखराउंगा ।।

अक्षर महके जैसे सुरभित उपवन ,
बह रहा हो जैसे सुवासित पवन ।
भाव अन्तः का करता उजागर ,
भरा हो अक्षर में कोई मधुवन ।।
कुसुमित कानन में गुंजार करते , भ्रमरों का गान सुनाऊंगा ।
उद्गार ह्रदय का मधुर सुहावन , वसुधा पर ला बिखराउंगा ।।

हो जीवित शब्दों में स्वप्नों की आशा ,
मंडरायें अम्बर में अनन्त अभिलाषा ।
गीत में मुकुलों का मौनालाप सुन ,
हो जीवित उर में जीवन की प्रत्याशा ।।
होगा प्रणय का मधुर प्रभात , मैं स्वयं प्रेम पताका लहराउंगा ।
उद्गार ह्रदय का मधुर सुहावन , वसुधा पर ला बिखराउंगा ।।

हूँ इच्छुक तिमिर में प्रेम दीप जलाने को ,
निराश दृगों में नवल उल्लास जगाने को ।
संशकित हैं सदैव अनिष्ट की संभावना से ,
हूँ आकुल किरण आशा की पनपाने को ।।
असीमित होगी जब व्यथा , अपने गीतों से मैं करुणा बरसाउंगा ।
उद्गार ह्रदय का मधुर सुहावन , वसुधा पर ला बिखराउंगा ।।

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21 MAY 2021 AT 13:52


पुरुषों ने कह रखा कि स्त्री दीन है,हीन है।
स्त्री ने भी मान रखा कि वह दीन है,हीन है।
इसलिए स्त्री सवाल नहीं उठाती।
सबकुछ चुपचाप सहन कर जाती।

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13 MAR 2020 AT 23:40

आईने में अक्स मेरा धुंधला नज़र आने लगा...............
शायद संवेदनाओं ने आकांक्षाओं को धुंधला कर दिया...

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निखर जाऊं मैं भी,
अगर मुझको सँवारे कोई।
पतझड़ सी है जिन्दगी मेरी,
ले आये इसमें बहारें कोई।
इन दिनों धुंधली सी हूँ मैं,
मुझे अपनी अदा से निखारे कोई।
भँवर में फंसी हूँ लहर तेज़ है,
पकड़ के हाथ कर दे किनारे कोई।
आइना देखना अब न भाये मुझे,
मुझे अपनी नजर से निहारे कोई।

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