QUOTES ON #आओ

#आओ quotes

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4 AUG 2021 AT 16:13

लौट आओ ना... !



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22 FEB 2020 AT 18:17

भूलकर हर उलझनो को
तुम नादान बन जाओ
मत रख याद
अपने-पराये को
सबके ही तुम
साथी बन जाओ
क्या तेरा क्या मेरा
जैसे बच्चों को पता नहीं
बस ऐसे तुम
मासूम बन जाओ
किसी के लिए
मन में कोई बैर नहीं
बस इतने तुम
सच्चे बन जाओ
बच्चों को तो लगते
सब अपने हैं
बस इतने तुम
अच्छे बन जाओ
आओ चलो फिर से
बच्चे बन जाओ...

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इश्क़ तो बेइंतहा है मुझे तुमसे पर कहा नहीं जाता
करूं भी क्या मेरा प्यार दो लफ़्ज़ों में नहीं समाता

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23 JUL 2019 AT 14:11

आओ चाय पर चलते हैं
मैं तुम्हारा मौन पढूंगी
और तुम मेरी कविता...

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3 OCT 2019 AT 22:42

तकल्लुफ़
एक तकल्लुफ करोगे क्या..🤔
गर हाँ...तो आओ मिलना चाहेंगे

चाहेंगे जब तुम मिलो बस एक मुस्कान देना
उस मुस्कान से मोहब्बत का पैगाम देना
ख़ामोश मोहब्बत तुम्हारी हम सुनना चाहेंगे
बेजुबान होकर तुम्हे बुनना चाहेंगे
आओ मिलना चाहेंगे

उस दिन आंखों में काजल न लगाएंगे
जानते हो क्यूँ..🤔
कही तेरी नजरें न अटक जाए काजल में
हम तेरी नजरों से मोहब्बत में घुलना चाहेंगे
आओ मिलना चाहेंगे

तेरा एकटक देखना,नजरें चुराना
आँखें मिला के नजर झुकाना
तेरी इन आदाओं से एक एक कर मिलना चाहेंगे
आओ मिलना चाहेंगे

गर मिल सको इक लम्हा निकाल कर तो आओ
तेरे उस लम्हे में हम अपनी पूरी जिंदगी जीना चाहेंगे।
आओ मिलना चाहेंगे

एक तकल्लुफ़ करोगे क्या..
गर हाँ...तो आओ मिलना चाहेंगे।

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5 JAN 2020 AT 19:20

देतो देतो में आ दइ
ऐचे लग लहा है जैचे बहाल छा गई😛😛

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19 MAR 2021 AT 21:13

कहानियाँ
और उपन्यास
स्त्री के जीवन का वो
हस्ताक्षर हैं
जिन अनुभवों से
स्त्री कभी न कभी
गुज़री है.

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11 MAR 2023 AT 19:09

मेरी बेरंग सी जिंदगी में सतरंग बनकर आओ
मथुरा से कृष्णकमल का सुगंध बनकर आओ

आँचल में भर लूंगी तुम्हारे नभ के चाँद सितारे
तुम भोर होते ही नईनवेली उमंग बनकर आओ

फागुन तपे चैत्रसम, विरहाग्नि में जल रही स्मृतियां
सोये अरमाँ जगाने प्रीत का रसगंध बनकर आओ

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14 NOV 2019 AT 20:57

इश्क तो बेपनाह करते हैं तुझसे
पर जताना नहीं आया
तुम समझ नहीं पाए हमारी ख़ामोशी
और हमें बताना नहीं आया

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22 NOV 2018 AT 1:18

आओ बैठें कुछ देर,
सबकी कद्र उतारे हुए कोट की जेबों में छोड़के,
गलियारे से ठंडी चप्पलें पैरों में पहनके।
एक बोतल में गुनगुना पानी लेकर,
हाथ में लकड़ी की एक टहनी लेकर उसे दूर समंदर में फेंक दें, जाने कितनी दूर जाए।
आओ, बैठें कुछ देर,
सारी परेशानियों को खूंटे पर टाँक कर,
बस बैठें, किनारे की उस रेत पर,
तारों के नीचे
और ताकें उस एक आसमान को,

अलग-अलग ज़मीनों से।

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