आओ बैठें कुछ देर,
सबकी कद्र उतारे हुए कोट की जेबों में छोड़के,
गलियारे से ठंडी चप्पलें पैरों में पहनके।
एक बोतल में गुनगुना पानी लेकर,
हाथ में लकड़ी की एक टहनी लेकर उसे दूर समंदर में फेंक दें, जाने कितनी दूर जाए।
आओ, बैठें कुछ देर,
सारी परेशानियों को खूंटे पर टाँक कर,
बस बैठें, किनारे की उस रेत पर,
तारों के नीचे
और ताकें उस एक आसमान को,
अलग-अलग ज़मीनों से।
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