तुम कह रहे थे ना ,
बिल्कुल एक से है हम. . .
जैसी मैं. . . वैसे ही तुम,
तो सहसा ही मान लिया मैंने,
तुम्हें अपना आइना. . .
पर इक रोज जो खुद को उसके भीतर झाँक कर देखा मैंने ,
तो अचानक ही चटक कर
बिखर गया वो. . मेरे चारों ओर !
उस में दिख रहे थे कुछ लोग. . .
एक अकेली मैं,
और तुम्हारे हजारों अक्स !!
-