आंसुओ की अब किसको कदर है
हर किसी की आंखों पर जिस्म का असर है
मोहब्बत-ए-दिल कौन अब करता हैं
आजकल तो बस जिस्म से प्यार चलता है
एहसासों को जो कोई पढ़ सके
ऐसी ना किसी में समझदारी बची है
बोल कर भी कहना चाहे अगर
तो सुनने की किस में खुद्दारी बची है
उसकी बेवफाई के बीच आज भी
मेरा उससे प्यार कही शेष हैं
उसे नहीं कोई फर्क कोई गम नहीं
मेरे लिए तो वो सबसे विशेष हैं
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