डराना है तो जम कर डराना कुछ दिन के बाद फिर अपने घरों में न घुस जाना सीधी राहों पर बहुत चल लिए झूठ का दंभ बहुत भर लिए जीत तो सत्य की होती है चाहे झूठ खेले कितने दांव कुछ नहीं आता फिर हाथ तुम हिन्दू ही बने रहना खुद को धर्म निरपेक्ष ही कहना कभी कट्टर न हो लेना थोड़ा उनका पक्ष लेना वो तुम पर बार बार वार करेंगे तुम वो भी सह लेना पर टस से मस न होना खुद से भी सच न कहना गद्दार को गद्दार तुम कह न पाओगे डरपोक हो डरपोक ही रह जाओगे अपनी दुर्दशा पर ही ताली बजा लेना इन अल्पसंख्यकों के आगे सर झुका लेना बुझा देना दिल में धधकती आग को पर सच तुम फिर कभी आइना न देख पाओगे देश से क्या खुद से भी क्या नजर मिलाओगे उतार दो चोला शेर बनो ऐसे दहाड़ों के शोर बनो भाग जाय जो कुत्ते भौंकने आए चलो आओ हम भी शेर बन कर दिखाए
हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है तुमने मांगें ठुकराई हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा छीनी हमसे सस्ती रोटी, तुम छटनी पर आमादा हो तो अपनी भी तैयारी है, तो हमने भी ललकारा है हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है
अन्नदाता हो तो अनाज बेचने का पाप क्यो करते हो दान में दे दो सारा अनाज ? कहोगे खेती में पैसे लगते है मुफ्त देने से किसान अगली बार खेती कैसे कर पायेगा सही बात है लेकिन बाँकी सब कुछ मुफ्त लेने की वकालत करते समय भी ये याद रखो की बिजली, सड़क, सब्सिडी सब के लिए कोई पैसा दे रहा है और वो है टैक्स दाता तो दंगा कर के मुफ्तखोरी करना अधिकार नही हो जाता किसी का भी। #मुफ्तख़िरी#एकनशा