चाँदनी रात में चाँद-सा चेहरा,
उस साँवली सूरत का है.!
जो अँधेरी शब में कहीं,
गुम-सा दिखाई देता है!!
वो झूमके उसकी जुल्फों की,
ओट में रूखसार को छूते है!
हो जाते है ये गुलाबी रूखसार
जब महबूब का नाम ये लब बोलते है!
उन चमकदार कजराली...
आँखों का जिक्र क्यों ना हो,
जो अँधेरी रात को चाँदनी शब
में बदलनें का हुनर रखती है!!
उसकी हँसी भी किसी का
दिल बैचेन कर सकती है..!
हाँ,वो साँवली सूरत-वाली भी,
हुस्न की मल्लिका हो सकती है!!
- वन्दना जाँगिड़
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