किस्से कहानियों पे ऐतबार करता है,
वो शख़्स भी किताबों से प्यार करता है।
वो जो बात मेरी सुनता ही नहीं कभी,
मंगर कहता है मेरी आवाज से प्यार करता है।
कोई तन्हा भी इतना है जमाने की भीड़ में,
अपनी दहलीज पे अपना इंतज़ार करता है।
लगता है वो जान देकर ही मानेगा अब,
करके तौबा जो इश्क़ बार बार करता है ।
जहर दे रहा हर रोज बता के दवा मुझको,
सच जनता हूं लेकिन दिल ऐतबार करता है।
वो बचपन जो इसके छांव तले खेला करता था ,
एक बूढ़ा बरगद फिर बच्चों का इंतज़ार करता है।
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