कहीं मंदिरों में देवी तुल्य पूजी जाती हैं ,
कहीं जन्म से पहले ही मार दी जाती हैं ,
कहीं ये विमानों की सवारी कर रही होती हैं ,
कहीं दहेज रूपी दानवों की भेंट चढ़ जाती हैं ,
कहीं देश समाज का प्रतिनिधित्व कर रही होती हैं ,
कहीं ख़ुद के ही घर में अपनों द्वारा ही दबा दी जाती हैं ,
कहीं आने वाले पीढ़ी का सृजन करती हैं ,
कहीं ये भेड़ियों से भी नहीं बच पाती हैं ,
ये नारियाँ युगों युगों से आजतक भटकती हुई आईं हैं ,
त्रेता से कलियुग तक अपना अस्तित्व तलाशती आईं हैं ।।
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