QUOTES ON #अशांत

#अशांत quotes

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10 JUL 2017 AT 19:45

चाहती हूं अब ऐसा एकांत...
जो सुना दे मुझे मेरे
प्रशांत मन का अशांत शोर...
जो दब गया है दुनिया के कोलाहल मे
जैसे राख मे दबा एक अंगारा हो...
ऐसा अंगारा जिसे हर वक्त
दुनिया ने उपेक्षा के ढेर में गाड़ दिया...
आज मार एक फूंक,उडा दूंगी यह ढेर
अंगारा फिर शोले भडकाएगा....
बस,अब एकांत चाहिए...
सिर्फ एकांत चाहिए...

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12 AUG 2019 AT 12:37

मैं जब अशांत होता हूँ, शांत होता हूँ।

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10 APR 2021 AT 12:43

व्यथा से डरने या भागने से सुख की प्राप्ति
ऐसे जैसे ज्येष्ठ की दोपहरी मे केवल आँख
मूँद लेना.....
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कष्ट को स्वीकारना या धारण करके
कारण का अवलोकन करना ही
शायद सुख का मार्ग प्रशस्त करता है....
जैसे भीषण, तपती दोपहरी मे शीतल
वृक्ष की छाया |

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11 JUN 2017 AT 22:14

कहीं किसान मर रहा है, कहीं जवान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिन्दुस्तान मर रहा है

बुझ रहे हैं दीप देखो, लौ नहीं है बाती में
चला रहे कुदाल बेटे, भारत माँ की छाती में
मासूमों की चीख, कर रहे सब अनसुना
जन्म ले रहे हैं दानव, मानव की प्रजाति में

जानवर की खातिर, इंसान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

केसरी...सफ़ेद....या हो हरा
हर रंग एक दूसरे से है डरा
दूध की नदी बहा करती थी जहाँ
खून से रंगी हुई है, आज वो धरा

कब्र डर रही है, श्मसान डर रहा है
हिन्दुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

लेखकों से कर रहे, शांति की बात
साहित्य तो करता रहा है, क्रांति की बात
लिखता हूँ जब मैं अशांत होता हूँ
करता हूँ हमेशा, मैं अशांति की बात

शीशों से टकराकर, चट्टान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है।

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"चंचल मन"

मेरे इस चंचल मन में,
अस्थिर-सी आकांक्षाएँ उमड़ती हैं...
एक से अनेक बन ये क्षणों में,
बयार की वेग भाँति बिखरती हैं...
ये अद्भुत आकांक्षाएँ एक स्थान पर,
चंद क्षण भी ना ठहरती हैं...
प्रवाहिनी तरंगों की भाँति भिन्न-भिन्न,
वांछाएँ हृदय में प्रवाह करती हैं...
ये चंचल मन तितलीपाँख की भाँति,
बहुरंगी स्वप्न अलंकृति की वांछा करता है...
किन्तु निराशा रश्मि के भय से,
ये आकांक्षाएँ टूट कर बिखरती हैं...
फिर चन्द क्षणों पश्चात वो आकांक्षाएँ,
फिर नव रूप में उमड़ती हैं...
मेरे इस अनूठे चंचल मन में,
ये आकांक्षाएँ अमर हुआ करती हैं...

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20 AUG 2021 AT 21:35

नदी के उस बहाव की तरह हूं,
जो बार-बार तेरी तरफ ही मोड़ देती है

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26 NOV 2020 AT 9:09

जसबातो का बस खेल
हर दिल में कचरे का ढेर
खुद की ख़ुशी पे कोई
खुल के ना मुसकुराऐगा
दूसरे का सुख देख
जल जल रहे जाएगा

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28 AUG 2020 AT 13:05

क्यूं थका-थका सा दिन है।
क्यूं रूकी-रूकी सी रात है।

क्यूं हवाओं ने रूख मोड़ा है।
क्यूं अनमनी सी बरसात है।

क्या बदल गया है नज़रिया मेरा।
या बदली पूरी कायनात है।

कुछ तो साजिश ए खुदा है।
जो उलझे मेरे ख्यालात है।

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12 AUG 2017 AT 19:46

सफेद शांति का प्रतीक होता है

मगर सफेद कपड़ों में लिपटे वो निष्प्राण शिशुओं के शव

कर गये पूरे देश को अशांत

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21 JUL 2020 AT 7:32

सुप्रभात

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