"वह आता है"
नहीं सुनी क्या पग ध्वनि उसकी?
वह आता है,वह आता है,लो वह आया।
प्रतिदिन पल पल,प्रतिनिशि युग युग,
वह आता है..... ।
कितने गाये गीत हृदय की लहरों में बह,
सबकी ध्वनि-प्रतिध्वनि यही थी...
वह आता है, वह आता है,लो वह आया ....
वसन्त ऋतु में वन में आता,
सावन निशि में नभ पर छाता,
नाहर-गज सम गर्जित घन-रथ,
को,उसने निज यान बनाया,
वह आता है......
दुःख के क्रम में जो जब तब आते,
वे उसका स्पर्श बताते,
विहँसे से जो सुख क्षण आते,
वे उसका ही रूप दिखाते।
उसकी पग ध्वनि स्पन्दन,
उसकी करुणा से पुलकित मन,
उसने प्रति उपक्रम से अपना,
अग-जग को अस्तित्व बताया,
वह आता है,वह आता है,लो वह आया....!!!
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