QUOTES ON #अय्यारी

#अय्यारी quotes

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21 SEP 2019 AT 19:38

जब इश्क़
खतरे के निशान से
ऊपर चढ़ जाता है
तो कोई
समझदारी नहीं चलती.

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24 MAY 2021 AT 13:22

ख़ुद को ख़ुद से बढ़कर चाहूँ, हैं ऐब मेरी खुद्दारी में
उसकी चाहत पर क्यूँ लानत, हैं ऐब मेरी ग़द्दारी में

मेरे हाथों में खंजर है और सीना भी मेरा छलनी है
अपना दुश्मन वो भी कट्टर, हैं ऐब मेरी अय्यारी में

मेरे ज़ख्मों पर मरहम एक और ज़ख्म कर जाएगा
उसको पूछो जिसका ग़म, हैं ऐब मेरी लाचारी में

क्या माज़ी क्या मुस्तक़बिल, ये वाइज़ कैसे जानेगा
जो बोया है वो ही काटूँगा, हैं ऐब मेरी वफ़ादारी में

अभी अभी तो मिला था ख़ुद से, फ़िर से खो गया
कितना पकड़ूँ, कितना ढूँढूँ, हैं ऐब मेरी ख़ुमारी में

उसकी बात पर ही क्यूँ ये ज़बां चाशनी हो जाती है
यूँ 'बवाल' सरीखा होकर भी हैं ऐब मेरी आवारी में

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27 JUN 2019 AT 14:02

राम के नाम पर रावण,
हम सीख चुके हैं मक्कारी,
कुछ रावण जैसी अय्यारी,
वोह लोग नहीं गाजर भर हैं,
आओ कि उन्हें हलाल करें,
चलो बन जाओ तुम हिरन मरीच,
फिर सीता का हम हरण करें।
आओ कि हम हैं अधिक जनें,
इन कम जन को निपटाते हैं,
हम राम के नाम पर मित्र मेरे,
चलो रावण राग सुनाते हैं।
हम भीड़ बनें और फना करें,
अपनी पूरी फिर अना करें,
हम राम नाम पर मार दें सब,
जनता को कह दें हत्यारी,
हम सीख चुके हैं मक्कारी,
रावण जैसी कुछ अय्यारी।।

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20 APR 2020 AT 11:23

बाज़ार में खड़े रहे तेरी इनायतदारी में
हम तो यारो लुट गए अपनी ही खुद्दारी में
जान न पाए हम ज़िन्दगी तेरे चेहरों को
हंसते रहे बिकते रहे तेरी ही अय्यारी में

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19 MAR 2020 AT 22:18

बेशक इश्क़ में किश्त-ए-बेज़ारी नहीं देखी जाती
इक तरफा ज़रफ से भी इसकी रूह कायम रहे
मगर इस तलब से ऐ बेहिस तेरी अय्यारी नहीं
देखी जाती...

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15 FEB 2022 AT 13:07

मुझमें कहाँ फ़न हैं मेरे कहाँ मन हैं
जो भी मैं लिखता हूँ, सब औसतन हैं

न नज़्मों में ज़ायके, न गीतों में रस
न ग़ज़लों में बहर, न बातों में वज़्न हैं

तुम बस बिंदिया का करना शृंगार
कंगन और पायल तो ख़ाली सपन हैं

ये इश्के ख़ुमारी, ये 'बवाल' बीमारी
बात नहीं सदियों की ये दफ़'अतन है

मैंने तो रब देखा है सब में, देखो!
ना माथे पर भस्म है, ना ही चन्दन है

मैं रोज़ जलता हूँ वरक़ दर वरक़
कोई आग़ नहीं ये मेरा उज्जड़पन है— % &

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ये दिल मेरा मानने को तैयार नहीं
सब कुछ है मेरा यार बस अय्यार नहीं

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10 AUG 2020 AT 12:27

न कर इश्क से शिकवा जहां की कारगुज़ारी का
दौर-ए-हयात में मोल है सिर्फ बशर की अय्यारी का

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28 SEP 2020 AT 23:36

बस थोड़ा सा सुस्ताए थे,
बचकर दुनियादारी से,
एक पुराना ख़्वाब मिल गया,
आँखों की अलमारी से।
मोती से झलकने लगे,
बरसे आँसू भारी भारी से,
थोड़ा और थमना चाहेंगें,
हम अब हारे अपनी बारी से।
सुकून से बैठना चाहा जो,
वह मुँह चिढ़ाते बोला नाराज़ी से,
तुम मुझे छोड़ जीने चले थे,
अब मिल गयी फुरसत अय्यारी से?

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13 JUN 2021 AT 7:57

छोटी छोटी नादानियां जो रूप ले
लें गलतियों का,
कोशिश करना माफ करने की
समझ कर मेरी नादानियां,
बहुत दर्द भरे हैं जह़न में मेरे,
छुपाया कुछ यूं सबसे चेहरे पे
चेहरा रखके,
अब तुम ये ना समझ लेना की
कर ली मैने तुमसे ही अय्यारियां,
कोशिश करना समझने की अगर
यूं बीच सफर में छोड़ जाऊँ तो,
शायद हो सकती है परिवार से
जुड़ी मेरी भी कुछ मजबूरियां!!!

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