Intezar mein kab se hum udaas baithe rahe, Deedar mein aankhein se hum bichaye bethy rahe, Ek nazar humme wo dekh lee, Janab bas Issi aas mein unke ghar ke hum bahar bethy rahe.
वहीं पसंद हैं। जब ये सवाल लोग हमसे करते हैं... फिर हम भी मुस्कुराके केहते हैं.... हां हमें आज भी वही पसंद हैं। भूल जाएंगे जिस दिन उसे समझ लेना भुला दिया हमने खुद को भी उस दिन प्यार खेल नहीं हैं मेरे लिए जो खेल के भूल गई प्यार मेरे लिए उम्मीद हैं इस निकलते सूरज की तरह उसके लौट के आने की जो आज तक हमने उसके लिए की हैं।
ख़्वाब-सा नींदों में बुनते है...🎎 अब भी पहले ईश्क-सा ख़ुमार हो तुम...❣️ पर्द़ा भले ही नहीं हमारे तुम्हारे बीच में...🤝 हय़ा से हर सुबह🥰नज़रें आज भी झुकती हैं...💕