अब फर्क नहीं पड़ता कौन अपना कौन पराया है यह दुनिया मतलब से चलती है सबने ये एहसास दिलाया है,
जो कहती थी कभी हाथ ना छोड़ना मेरा आज सबसे पहले उसने ही अपना हाथ छुड़ाया है,
बने थे मेरे भी कई दोस्त यहां पर पीठ पीछे सब ने अपना असली रूप दिखाया हैं,
जो सामने करते हैं तारीफे मेरी उन्होंने भी चेहरे के पीछे अपना असली चेहरा छुपाया है ,
यूं ही कर लेता हूं सब पर भरोसा मैं लेकिन सब ने मुझे ही मतलबी और झूठा बताया है,
और यूं ही नहीं रहता हूं अकेला मैं किसी ने मेरी वफा को भी बेफवा बताया है,
और जब -जब जरूरत थी मुझे मेरे अपनों की तब- तब सबने मुझे गैरों की तरह अपना रूप दिखाया है,
और जो कहते थे तेरे साथ है हम उन्होंने ही सबसे ज्यादा मेरा दिल दुखाया है,
लेकिन अब बहुत दूर चले जाना चाहता हूं इस मतलबी जहां से मैं,
क्योंकि अब फर्क नहीं पड़ता कौन अपना कौन पराया है यह दुनिया मतलब से चलती है सबने यह एहसास दिलाया है।
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