QUOTES ON #अफसाना

#अफसाना quotes

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11 JUL 2019 AT 10:49

कुछ उलझे से ख़्वाब है आँखों में
और पलकों तले आज भी तुम्हारा इंतज़ार है
होंठों पर खामोश से कुछ अल्फाज़ है
जो सदियों से एक अफसाना सुनाते है..!

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27 JUN 2019 AT 22:36

हर रात एक कहानी से जुड़ी है
जो बीते लम्हो को याद दिलाती है
जाने कितने गमो को समेटे
जाने कितने आंसुओ को छुपा
कर ये रात गुज़रती है
टूटे हुए तारो का अफसाना
आज भी याद है मुझे ।।
हर रात मुझे गले लगा
अपनी गोद में सुलाती है
हर रात एक कहानी से जुड़ी है
रात की बाँहें खुली है

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19 APR 2020 AT 8:21

कुछ थी तुम किस्मत में, कुछ थी तुम लकीरों में,
जब से तुम मिली हो मुझे, तब मैं मुकम्मल हुआ!

थोड़ी ख़्वाहिश मुझे थी, थोड़ी तलाश तुझे भी थी,
जिस मोड़ पर हम मिले, वो हमारा ठिकाना हुआ!

कंही कुछ तुमने भी कहा, कंही कुछ मेने भी सुना,
मिले जब अल्फ़ाज़ हमारे, प्यार का किस्सा हुआ!

कुछ मन्नत तू ने की, कुछ दर दर इबादत मैने भी की,
जब हुई दुआ कुबूल, फिर ये हसीन अफसाना हुआ!

कुछ ख़्वाब तू ने देखे, कुछ वैसी हसरतें मेरी भी थी,
कुदरत ने जब हामी भरी, तब हमारा मिलन हुआ!

कुछ मिले है इस जिंदगी में, बाकी मिलेंगे फिर कभी,
जब बनोगी चाँद आसमाँ का, तब मैं सितारा हुआ!

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31 OCT 2019 AT 20:32

लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे,
यूँ मेरे दिल में चले आओ कि जैसे आहट भी ना हुई हो...!

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16 JUL 2019 AT 9:11

तुझे अफ़साना लिखूँ मन करता है
कभी मयखाना लिखूँ मन करता है

बस तू ही तू बसी है निगाहों में मेरे
अंदाज़ शायराना लिखूँ मन करता है

अब तो बस मोहब्बत भरी है दिल में
दर्द कभी मैं पुराना लिखूँ मन करता है

तुझे देखकर ज़िन्दगी गुज़ार लूँगा मेरी
तुझे मेरी नींदें चुराना लिखूँ मन करता है

तेरे सामने आते ही अल्फाज़ ख़त्म होंगे
अब ना कोई बहाना लिखूँ मन करता है

तुझे देख गीत ख़ुद-ब-ख़ुद बन जायेगा
तुझपर एक मैं गाना लिखूँ मन करता है

तेरी मुस्कान पर फ़िदा है अब "आरिफ़"
सिर्फ़ तुझे ही है पाना लिखूँ मन करता है

"कोरे कागज़" पर बना ली है तस्वीर तेरी
आज उसे है गले लगाना लिखूँ मन करता है

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13 AUG 2019 AT 1:11

कुछ यूँ हुआ
तुम मेरी ज़िन्दगी में आये।
तुम्हारी मुहब्बत ने मुझे हमेशा के लिए अपना बना लिया
तुम्हारी चाहत का वो अफसाना कैसे बयाँ करूँ
जिसे देख ना जाने कितने लोग जल गए
आज भी वो वक़्त याद करूं तो
तुम मेरी रूह में समा जाते हो ।।

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12 SEP 2020 AT 21:35

किस्से कहानियों पे ऐतबार करता है,
वो शख़्स भी किताबों से प्यार करता है।

वो जो बात मेरी सुनता ही नहीं कभी,
मंगर कहता है मेरी आवाज से प्यार करता है।

कोई तन्हा भी इतना है जमाने की भीड़ में,
अपनी दहलीज पे अपना इंतज़ार करता है।

लगता है वो जान देकर ही मानेगा अब,
करके तौबा जो इश्क़ बार बार करता है ।

जहर दे रहा हर रोज बता के दवा मुझको,
सच जनता हूं लेकिन दिल ऐतबार करता है।

वो बचपन जो इसके छांव तले खेला करता था ,
एक बूढ़ा बरगद फिर बच्चों का इंतज़ार करता है।

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क्या लिखता हूं , क्या गाता हूं ,
दर्द बेचता हूं मायूस हो जाता हूं।

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28 NOV 2019 AT 22:43

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में ।
❤️❤️❤️
✍-सीमाब अकबराबादी



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4 MAR 2022 AT 8:01

गर्जमंदों से बचकर निकलने लगे हैं ,
थोड़ा-थोड़ा हम भी संभलने लगे हैं ।

अपनी गर्ज हो तो हाल पूछते हैं ,
वरना अपने भी नज़रें बदलने लगे हैं ।

होंठों पे आई बात कहीं अफसाना ना बन जाए,
इसलिए खुद ही खुद से बहलने लगे हैं ।

जमाने की निगाहें जब से गुनाहगार हो गई हैं,
हर यकीं तब से शक में बदलने लगे हैं।

जमाने में खुद को चलाने की खातिर,
बातों के जहर अब हम निगलने लगे हैं ।

बड़ी मासूम अदा रखते हैं वो कातिल हमारे,
छुपाके खंजर पहलू में गले हॅंसके मिलने लगे हैं।
......... निशि..🍁🍁

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