सामान्य से विशेष की यात्राएं
कठिन तो थीं पर बोझिल नहीं थीं,
अनुराग का भारी कलेवा
हृदय झोली में भर रखा था
अवशेष शेष हैं
समकित निश्शेष हैं.....तो भी
सामान्य जो राग की राजनीति में
सर्वमान्य नहीं होता
उल्टे क़दम से
एक बार फिर से विशेष से सामान्य
हो जाता है समर्पण में
समर्पित एक पवित्र व्यक्ति का व्यक्तित्व
जब अन्य सामान्य को स्थान दे दिया जाता है,
जीवन में प्रमुखता से!!
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