इन दौलतो, इन शोहरतो की बात ही कुछ और है,
आप चीज़ कुछ और है,हम बात ही कुछ और है।
आप शोर कर के खुश होते है ख़ा-माँ-ख़ा-बे-वजह,
हमारी ख़ामोशी-ए-दहाड़ की,बात ही कुछ और है।
हद होती है हर एक चीज़ की कोई न कोई,
हमारी हद-ए-बर्दाश्त की, बात ही कुछ और है।
ये सब बुझी हुई राख है एक मुददत से,
तू आग है-तू आग है, तेरी बात ही कुछ और है।
कैसी बाते करते हो "अनस" तुम भी,
देखो दुनिया की नज़र से तेरी बात ही कुछ और है।
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