मेरा रह गया जो वक़्त तेरे हाथों में,
काश मिले वो दौर कहीं से,
रातों के इन अनगिनित ख़्वाबों से
रास्ता कोई जाता हो तेरी ओऱ कहीं से,
सोचूँ इन यादों का अंत हो जाये
ख़त्म तो हो यह तेरी डोर कहीं से,
बता के ज़िन्दगी तुझे औऱ कितना खींचूँ
मिले तो तेरा दूसरा छोर कहीं से,
काश मेरी गली कोई फ़िर से आये बेचता खिलौनें
फिऱ कोई रूठे, फिऱ से तो हो शोर कहीं पे..!
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