जगत की यही परंपरा हैं, सत्य पर ही टिकी वसुंधरा हैं! परिश्रम ,संयम,सच्चाई, और ईमानदारी की, अग्नि परीक्षा से जो भी गुजरा , वही ज़िन्दगी मे कुन्दन सा खरा हैं!!
स्त्री का स्त्रीत्व हो जाना पुरुष का पुरुषत्व हो जाना अमूक कविताओं का यूं छटपटाना कोरा कागज़ पर अल्फ़ाज़ बिछाना अग्नि परीक्षा में सफल मतलब क्षितिज का आलिगंन प्राप्त करना
नारी निर्मल समर्पण की प्रतिमूर्ति उठाते हो क्यों कोई सवाल ?? सुनो ,,, अंतर्मन में सो गई सारी इच्छा अब जाग चुकी है सीता इस लौ में ,, नहीं देगी कोई अग्नि-परीक्षा ।।