AMIT ANURAGI 31 MAR 2019 AT 19:01 उसकी बातों में सच नहीं होता।मिरा दोस्त भी 'अख़बार' जैसा है। - Thakur Monika Pundir 23 FEB 2020 AT 11:32 मुफ़लिसी है आजकल रहबर कीहर रास्ते ने खुदको धोखेबाज़ बना रखा हैमेरे अपने हो तो पढ़ सकते हो मुझेमैंने चेहरे को उर्दू का अखबार बना रखा है - पंकज पाठक 28 NOV 2018 AT 22:51 मेरा दिल बेबस है शहर के अखबार की तरहवो ताकत-वर है विज्ञापन के बाज़ार की तरहमेरी किस्मत कि मुझे रद्दी के भाव बिकना हैउसे मुस्कुराते हुए छपना है हर-बार की तरहगिरते गिरते तू कितना गिर गया है, 'निशान'इस्तेमाल रोज हो जाता है, औज़ार की तरह - Kritika Sengupta 4 JUL 2019 AT 9:25 अखबार छोड़ो कभी तो, मेरी आँखें पढ़ लिया करो..! - Vicky Gautam🐼 2 MAY 2020 AT 9:22 अखबार मैं छुप कर उसका इजहार देखता हूँ। सालों बिछड़े हो ऐसे हर बार देखता हूँ। वो दिख जाये मुझे अखबार मे कहीं इसलिए हीं तो मै अखबार देखता हूँ। - Thakur Apoorva Singh 10 MAY 2021 AT 9:08 हमारे देश के लोगों के दिलों में,ही काला बाजारी हो गई,तभी तो हमारे देश में शवों के, कफ़न की भी चोर हो गई। - Vihaan 18 FEB 2018 AT 10:28 जुर्म वही बस किरदार बदल गया ।खबर वही बस अखबार बदल गया ।सत्ता आज भी सरेआम नीलाम है,कीमत वही बस ठेकेदार बदल गया । - Ek Anjaan Shayar 14 AUG 2020 AT 8:46 हम से जुदा होने की बात से घबरा जाते थेअचानक ही उनके लिए अन्जान हो गया हूँ।देखकर अब अक़्सर मुँह फेर लिया करते हैंजैसे कोई पुराना अख़बार हो गया हूँ।। - ritusumitamit/ RSA 6 AUG 2020 AT 11:22 सोच रहा हूं खबर छपवा दूं अखबार में।किस कदर धोखा मुझे मिला है प्यार में।।प्यार मुझे तो भी खूब मिला दोस्तों!मगर रकीब के पछवाड़ में।कुछ इस कदर मैं उसका हो गया था।प्यार दिखता था मुझे उसकी फटकार में।।मुझसे उसे भुलाना बहुत आसान है दोस्तों!मगर यादें बसी है उसकी, घर के दीवार में।।साथ रहूंगी उम्र भर तेरे कहकर!छोड़ गई मुझे बीच मझधार में।।चाहत है शरीर किनारे और मैं ऊपर जाऊं!मगर नहीं मैं क्यूं मरूं बेकार में।।वादा रहा उससे से भी ज्यादा खुश रहूंगा मैं।इस मतलबी संसार में।। - Vihaan 17 MAR 2018 AT 8:41 झूठ हर घंटे टेलीविजन पर चीखता है।सच अखबार के पन्नों में कहीं खो जाता है। -