QUOTES ON #अंतिम_इच्छा

#अंतिम_इच्छा quotes

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3 JUN 2020 AT 15:06

नहीं चाहती मेरे प्राण छूटने पर
मेरी आत्म ज्योति करें प्रस्थान
किसी मुक्ति मार्ग की ओर
मेरी हर श्वास में तुम हो और
तुम्हारी श्वासों का आधार प्रकृति,
मेरी अंतिम इच्छा है....
मैं नैसर्गिक होकर
विलय हो जाऊँ वायु के
प्रत्येक कण में ताकि तुम्हें छूकर
मैं तुममें जी सकूँ अपनी
मरी हुई श्वासें!

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6 JUL 2017 AT 20:02

अंत हो तब ये जिंदगी कुछ यूं छोड़ जाऊं
लिख कर तेरा नाम फिर कलम तोड़ जाऊं

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4 MAY 2021 AT 19:32

जब साँसें घर बदल रहीं हों,
उस वक्त बस तुम रहना हमारे।

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19 SEP 2021 AT 15:51

तेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा मेरे नजरों के सामने रहे! बस यही अंतिम ख्वाहिश हैं मेरी!✍️✍️

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25 FEB 2020 AT 13:15


जीवन के अंतिम क्षण में तुम
मां के पैरों की मिट्टी ला देना
उस मिट्टी का तिलक बनाकर
मेरे माथे पर लगा देना।।
सिर को मेरे सहला कर
मीठी लोरिया गा देना
सो जाऊ जब थक कर मै
धरती मां की गोद में
कफ़न नहीं, तुम मां का आंचल ला देना
सिर को मेरे सहला कर
तुम मीठी लोरी गा देना।।।
मरने पर मेरे
ए दोस्त तुम काम यह कर देना
चुपके से मेरे सिर के नीचे
मां की पायल रख देना।। -Divyanshu joshi 🙏❤️

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6 NOV 2019 AT 12:16

देह त्याग के साथ साथ
मै वृक्ष हो जाना चाहती हूँ
मै जानती हूँ
नहीं मानोगे तुम
मेरे साथ साथ
एक वृक्ष को भी
देह त्यागना होगा
दाह..... होगीं लकड़ियाँ
मै जानती हूँ
नहीं मानोगे तुम
परन्तु
मेरी अंतिम इच्छा मान
उस खुले मैदान में
एक नीम का पेड़ लगा देना
मै उड़ती तितलियों पंछियों
गिलहरी गाय फूल और
बच्चों को देखना चाहती हूँ
देह त्याग के बाद भी
मै देह हो जाना चाहती हूँ....
मै वृक्ष......
हो जाना चाहती हूँ।

कविता

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2 MAY 2020 AT 1:31

एक सैनिक कि अंतिम ख्वाहिश


{Full piece in caption}

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8 OCT 2021 AT 11:59

दिन रात मेरे भगवन, मैं भावना ये भाऊं।
जीवन के अंतिम समय में,बस तुम्हें न भूल जाऊं।
न रहे कोई शत्रु मेरा,सबसे मैत्री का भाव भाऊं।
करके क्षमा सबको ,अपनी आत्मा से बोझ उठाऊं।
कर जोड़ सबसे क्षमा चाहूँ,ग़र किसी का दिल दुखाऊँ।
न रखूँ मैल अपने हृदय में,राग द्वेष से मैं छुटा चाहूँ।
क्रोध छूटे, मान छूटे,हृदय की सारी गांठ टूटे।
माया और लोभ विषयों में,न मन रमा चाहूँ।
मन शांत रखूँ, शील रखूँ,बस हृदय में तुझे ध्याऊँ।
रखूँ खुद को संयमित में,न मृत्यु से भय खाऊं।
बस प्रभु तेरे चरण निकट हों,बस तेरे सन्निकट में बसा चाहूँ।।

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30 DEC 2018 AT 20:04

कितने साल बीत गए तुम्हें देखे हुए..
कितने साल हो गए तुम्हारी आवाज सुने हुए..
कितने मौसम गुजर गए तुम्हारी मुस्कान देखे हुए..
अब तो उस खुदा से बस एक ही मंनन्त
वो हर पल ,हर दिन जो हमने साथ बताये थे
उन्हें फिर से एक पल जी पाऊ
चाहे वो मेरी जिंदगी का आखरी पल  क्यों
  ना हो...।

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19 DEC 2021 AT 15:08

वक्त से पहले काम करने की आदत हैं मेरी
ये शायद "जिंदगी" से भी जुड़ा हुआ हैं मेरी

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