QUOTES ON #अंतर्मन

#अंतर्मन quotes

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8 MAY 2021 AT 9:01

जिंदगी का सुकून हो तुम, साँसों की लय-ताल हो,
जीने की वजह तुमसे, वो ही तो तुम सुर-ताल हो!

अंतर्मन की पुकार हो, जो अंतस की आवाज हो,
आँखों की दिव्यज्योति, जो रौशन मेरा संसार हो!

कनेर की कशिश हैं जो, वो तन मन की बहक हो,
महसूस करता पल-पल, वो ही तो तुम महक हो!

दिल के आँगन बसती है जो, वो सपनोँ का घर हो,
खुशियां जिस के नाम है, वो मेरा तुम त्यौहार हो!

रग-रग में बसी हो मेरे, तुम वो सनसनाहट रक्त हो,
खामोशी के शब्दार्थ जो, वो अनकहा अव्यक्त हो!

हर शब्द में तेरा नाम जो, वही तो मेरी पहचान हो,
होगें जिसमें हमारे किस्से, वो मुकम्मल किताब हो!

जिंदगी की हर सुबह हो, चाहे वो कोई हर साँझ हो,
हिचकी आखरी जब भी हो, वो "राज" तेरे नाम हो! _राज सोनी

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5 DEC 2019 AT 9:54

मेरे 'अंतर्मन' में जब भी तमस गहराता है.!
उत्साह अविलम्ब तड़ित सम जगमगाता है.!!

क्षुब्ध ह्रदय फिर धड़कन को समझाता है.!
निष्चेष्ट जीवन पुनश्च चलता जाता है !!

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29 AUG 2020 AT 17:15

सागर के दो किनारों को जोड़ने की कोशिश हमेशा नाकामयाब होती है!!...पर वो आपस में मिलते जरूर है... हर किसी की आँखों से ओझल होते हुए...छू लेते हैं एकदूसरे को....कहीं दूर लहरों में खोते हुए।
और फिर एकबार निकल जाते हैं अपने अपने किनारों की ओर.. अपने अपने हिस्से के साहिल को पाने।

कुछ रिश्तों की डोर सागर के इन्हीं लहरों जैसी होती है, जो स्थिर रहते हैं किनारों पर..... और छू लेते हैं अपने सफर की बेबुनियाद मंजिल.....

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5 DEC 2019 AT 14:47

क्यों हम पर अत्याचार होता है
बेबस,लाचार, बेकार समझा जाता है
अंर्तमन में है कई सवाल ,ना मिला जबाब
हमें जीने दों खुल कर उड़ने दों ।।

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20 DEC 2020 AT 14:17

आप मध्य में स्थिर हैं, जो आपको दिखता है!
वो संसार है, मनुष्य जगत का!!

अपनी आंखों कि विपरीत नयन को, खोल ले!

तो फिर आप अपनी भीतरी जगत में प्रवेश कीजिएगा!
जो कि स्वयं परमेश्वर का जगत है!

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20 AUG 2021 AT 20:11

~
बुरा तो कोई किसी भी हद तक बन सकता है,,,,

बात तो तब बने,जब माँ-बाप की नज़रों से‌ दूर रहकर भी अच्छे बने रह सको...!!

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17 MAR 2020 AT 21:24


कुछ शब्द
निकले थे जो
अंतर्मन से मेरे
रखा जब इन्हे मैंने
दुनियां के सामने
ये शब्द मुझे ही
मेरी एक नयी
पहचान दे गए...

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अंतर्मन

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पाप करें तो, मन को कचोटता,
पूण्य कर्मों पे, दिल को सुकूं दे जाता है।
किया अच्छा या, कोई बुरा कर्म,
ये हमारा अंतर्मन, हमको बतलाता है।।

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11 MAY 2020 AT 8:57

दर्द गूंजता रहता है
मेरे अन्तर्मन में
मुरझा जाते हैं सैंकड़ों फ़ूल
एक ही क्षण में
महसूस होता है सांसों को
ज़हर मिला है पवन में
विरह का करुण गीत
गूंज रहा है गगन में
हज़ार कांटे चुभ रहे हैं
जैसे मेरे बदन में
झुलस रही है मेरी आत्मा
किसी चिता की अगन में
महसूस हो रहा है ऐसे
हार गई मैं किसी रण में।
भावना तोमर

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