किस बात का गुरूर है
आज सर पे ताज़ है तो,
कल ज़मीन में ख़ाक है
शिकायतें, नफ़रतें सामने से हैं
पीछे से वार करना,
मेरी फ़ितरत में ना शुमार है
सूख़े पत्तों से टूट कर बिख़रते हैं लोग
आज निराशा तो ,
कल उम्मीदों का भण्ड़ार है,
जीवन का तो बस ये ही संघर्ष है
पल में आँसू तो
पल में मुस्कान है।।
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