न ज़वाब ही अच्छा है ना पूछना कोई सवाल ही अच्छा है, न ख़ुशी अच्छी है, ऐ मेरे दिल, ना 'बवाल' ही अच्छा है, भला क्यों शिकायत करें कि, वो बहुत याद आते हैं, यार जिस हाल में रखे, वही हाल ही अच्छा है..
तुमने देखा है कभी जब पटरी से ट्रेन गुजरती है तब उस शांत पटरी में कुछ क्षण के लिए होता है स्फंदन, और फिर वही शांति, वही नीरवता कुछ ऐसी ही है जिंदगी इस पटरी पर भी ट्रेन की तरह आते हैं कुछ पल और दिन जो दे जाते हैं स्पंदन लेकिन उसके बाद पटरी की वही शांति निशब्दता और नीरवता और इंतजार अगली ट्रेन का
एक बार मेरी नजरों के सामने तो आओ तो सही! दूर से ही, पर एक झलक तो दिखलाओ तो सही! हम भी तो देखें, आख़िर तू किस दर्जे की कातिल है, अपनी जालिम अदाएं मुझपे भी, आजमाओ तो सही!!