समझ आ गया है अच्छे से बहुत ,
इसलिए अब हमेंशा ही खुश रहने की कोशिश करता हूँ,
बेवजह ही किसी से किसी बात की , कोई शिकायत नहीं करता।
अकेला हूँ तो अकेला ही ठीक हूँ,
और भी मिले खाश कोई इस जिंदगी में मेरी,
इसकी अब कभी ख़ुदा से , मै इबादत नहीं करता।
जो साथ थे और जो साथ हैं , उनकी मेहरबानियां ही बहुत है,
दिल के करीब कर अब किसी से भी यूं मोहोब्बत नहीं करता।
हाँ मिलना होता है बहुत पुराने चेहरों से अब भी मेरा,
पर सबसे अब मैं भी अंजानो की तरह ही मुलाकातें करता हूँ,
किसी से भी बेफिज़ूल रिश्ते बनाने की कोशिश नहीं करता,
जितना मिला ख़ुदा से मेरे , बहुत मिला मुझको लगता है,
फ़िलहाल और ज्यादा पाने की , अब मैं चाहत नहीं करता।।
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