ज़िन्दगी की कशमकश से परेशान
होगाएं हम !!
अपनों से भी गैरो की तरह पेश
आ रहे हम !!
मायूसी का आलम ना पूछिएगा
अपनों की दूरी से बेचैन हो रहे हम !!
आज तोड़ लिया रिश्ता उम्मीद का
अब कभी गिला शिकवा नहीं करेंगे हम !!
हाल- ए - दिल बयान करें भी तो कैसे
लफ्जों को तो कहीं और छोड़ आए हम !!
हस्ती ही अपनी क्या हैं, ज़माने के सामने
एक ख़्वाब है, जहां में बिखर जाए हम !!
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