जिंदगी के सार को अपनी कलम से उजागर करते रहो।
ये सोच के न थमो कि लोग क्या सोचते हैं,
कलम की नोंक से हृदय के वेग को बोल देते रहो।
हर पहलू से संबंधित समाधान ढूंढते रहो,
बिना रुके , बिना थके, बिना हारे,
उन मायूसों की अंधियारी जिंदगी को,
एक नई रोशनी देते रहो।
हो सके तो बिना किसी स्वार्थ के,
मानवता रूपी धर्म को निभाते रहो।
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