QUOTES ON #YQSHAHITYA

#yqshahitya quotes

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1 JUL 2018 AT 11:40

एक रूह है, कई लिबास हैं।

रुह तो एक ही है मैंने जाना है।
बाकी लिबास का क्या वो तो
काली है, गोरी है, कमसिन है, कोढ़ी है,
जनाना है, मर्दाना है।

रूह एक ही है, लिबास की कई पहचान है।
कोई पारसी, कोई सिंधी, कोई सिख ,कोई इसाई
कोई हिन्दू है तो कोई मुसलमान है।

ये लिबास है जो रूह को ढँकती है।
रूह दिखती नहीं
लिबास दिखती है सो बिकती है।

रूह का नाम नहीं क्योंकि रूह तो एक है।
लिबास के कई नाम, इसीलिये तो भेद है।

रूह एक ही है सबकी,गर इस बात का इल्म हो,
तो लिबास कोई हो उसके नाम पर क्यों जुल्म हो?

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28 JUN 2018 AT 22:00

न रोक सके हैं ये पर्वत ये दरिया ये समंदर,जाने वाले को; जाते हैं तो जाइए।

रूकिये, कुछ भूल रहे हैं ,आपकी यादें अपने साथ लेते जाइए।

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16 APR 2019 AT 17:58

छोङ ना, ग़म-औ-दर्द आएंगे बहोत,
पर तेरे लिए मैंने, खुशियाँ भी रखी है।

छोङ ना, धूप-औ-छाँव आएंगे बहोत,
पर तेरे लिए मैंने, बरख़ा भी रखी है।

जिन्दगी में अच्छे-औ-बुरे लोग आएंगे बहोत,
पर तेरे लिए मैंने, फरिश्ते-औ-परियाँ भी रखी है।।

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12 JAN 2022 AT 14:21

काश लौट पाना आसान होता
तो लौट जाती
स्याही कलम में
काजल डिब्बी में
फसलें खेतो में
और
ब्याही बेटियां मायके में

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18 JAN 2019 AT 10:18

मेरे हर पल में तू मेरे साथ हो
तेरी हर खुशी में मैं शामिल रहूं..

ना हो तू अधूरा ना मैं रहूं अधूरी
तेरी हर चीज के लिए मैं कामिल रहूं..

दुनिया के धोखे देखे हैं बहुत
पर तेरी वफा के काबिल रहूं..

"तमन्ना- ए- दिल" है यह मेरी
कि तेरे सीने का मेैं दिल रहूं...!!

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1 MAY 2019 AT 2:49

बात "इश्क"की थी,जहाँ मिले थे ।
हम दिल से ठहरे वहीं ।।
वरना व्यस्त हम भी हैं बहुत ।
रुकना हमारी आदत भी नहीं ।।



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दो आँखों से आख़िर कितना देखोगे
दुनिया बहुत बड़ी है, आँखें चार करो

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11 JAN 2021 AT 17:28

प्यासे को पानी की
शराबी को मदिरा की
और अज्ञानी को मूर्ख की
ही टोली भाय ,
और ज्ञानी जो आ जाए
इनको वो फूटी आंख ना भाए ।

अंधे को लाठी की
बच्चे को छाती की
प्रेमी को प्रेमिका की
सपर्श ही भाए ।
रख दो इनके बीच प्यार
की भाषण ओह तोबा
इनको तनिक ना भाए ।

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1 NOV 2018 AT 8:03

(ऐ गांधारी)
ऐ गांधारी ! मत कर प्रतिक्षा,
मौन तू क्यो है खड़ी,
रोक ले उन कौरवो को,
इक अबला पे जो आ पड़ी!!
खोल ले तू पट नयन के,
देख ले तू दुर्गति !!
थाम ले दामन तू उसका,
दुस्साहसनो से है घिरी!!
ऐ गांधारी मत कर प्रतिक्षा,....
मन व्यथित है शब्द श्रापित,
चित्कारती वो हर घड़ी!
कर रही विनती प्रभु से,
इन चौसरो में क्यो फंसी!
ऐ गांधारी मत कर प्रतिक्षा....
त्याग दे सुत मोह को ,
मत सोच अपने दंभ को,
भूल जा तू कौन है,
रोक ले विध्वसं को!!
ऐ गांधारी मत कर प्रतिक्षा.....
(अलका)



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28 JUN 2018 AT 22:33

रुकिए, इन यादो के साथ साथ
मेरी नम आँखों के समंदर को भी लेते जाइये !!

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