एक रूह है, कई लिबास हैं।
रुह तो एक ही है मैंने जाना है।
बाकी लिबास का क्या वो तो
काली है, गोरी है, कमसिन है, कोढ़ी है,
जनाना है, मर्दाना है।
रूह एक ही है, लिबास की कई पहचान है।
कोई पारसी, कोई सिंधी, कोई सिख ,कोई इसाई
कोई हिन्दू है तो कोई मुसलमान है।
ये लिबास है जो रूह को ढँकती है।
रूह दिखती नहीं
लिबास दिखती है सो बिकती है।
रूह का नाम नहीं क्योंकि रूह तो एक है।
लिबास के कई नाम, इसीलिये तो भेद है।
रूह एक ही है सबकी,गर इस बात का इल्म हो,
तो लिबास कोई हो उसके नाम पर क्यों जुल्म हो?
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