भावुक हो जाएं गर तो कहते हो,
तुम लड़कियों का तो हथियार है रोना।
हँसे जो खुलकर तो कहते हो,
लड़की हो दांत न दिखाओ थोड़ा तो शर्माओ।
जरा सा दुप्पटा जो सरके तन से तो भौंहे चढ़ाते हो,
जो पहन लें जीन्स-शॉर्ट्स तो संस्कारों पर जाते हो।
जो करें बातें खुलकर लड़कों से तो,
चरित्र पर हमारे अनगिनत प्रश्नचिन्ह सजाते हो।
जो न घुले मिले किसी से तो,
हमें अनपढ़ गवाँर बताते हो।
जरा ये तो बताओ ऐ समाज!
आखिर तुम एक स्त्री से क्या चाहते हो?
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