QUOTES ON #YQPOWRIMO

#yqpowrimo quotes

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2 APR AT 7:42

मेरी ख़ामोशी को मैं ही न समझा,
समझा सारा जहान हमने...
पर अपने ही जहान को...
मैं कहां समझा....
मिलता रहा जहान भर से
समझदार मैंने ये जहान समझा....
न -समझ, समझ मुझे हसता रहा जहान मुझपे...
मैं जहाँन भर कि समझदारी पे...
न समझी से हँसाता रहा...
मेरी ही ख़ामोशी को मैं ही न समझा...
उम्र बीत गई समझदारी से जीने मे...
आखिरी वक्त पे न समझी से मिला...
मिला जिंदगी से तब...
जब जहान भर से मैं बेफ़िकारी से मिला...
मेरी ख़ामोशी को मैं ही न समझा...

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31 MAR AT 23:21

ख़ामोशी कितना कुछ बोलतीं हैं,
ज़हन में मेरे , तेरे लव्ज खोलती हैं
सुन लेता हूं मैं, वो सभी कुछ
जो शायद तू न मुझसे बोलतीं हैं
ख़ामोशी कितना कुछ बोलतीं हैं.

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28 MAR AT 7:51

मैं रस्तो पे सफर करने लगा.
जिंदगी कुछ इस तरह बसर करने लगा.
मंजिले अब नहीं मेरी
मैं मुसाफ़िर सा दुनिया मे मशहूर होने लगा

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26 MAR AT 8:54

जब लिखने लगा तो समझने लगा जिंदगी क्या हैं,
तेरे कुछ अनकहे किस्सों का एक गुलसिता हैं,
कुछ उलझती सी राहों मे,
कई गुमसुम से ख़्याबो का जहान है..
जिंदगी मुझ मे तेरे होने का और
तुझ मे मेरे होने का एक हसीन फलसफा है
जब लिखने लगा तो समझने लगा जिंदगी क्या हैं..

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21 MAR AT 23:05

कल शहर आई थी..
एक उम्र बाद वो मुस्कुराई थी..
नम थीं नज़र उसकी पर..
दिल से वो खिलखिलाई थी...
हर किसी की नजर थीं उसी पे..
जिस पल जिंदगी शहर से टकराई थी..
कल शहर आई थीं..

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6 MAR AT 9:51

मैं भूल भी जाऊं तुम्हें..
पर मुझे याद दिलाता है
अलमारी बंद तुम्हारा वो रुमाल..
जिसे तुमने छत्री सा बना कर मेरे सर पर ढाक दिया था..
मैं समझीं थी कि वो चुनर हैं तुम्हारे नाम कि
जिसे उड़ा कर तुमने मुझे अपने नाम कर लिया था..
पर वो सिर्फ ख्याल था मेरा, और वो चुनरी नहीं बस रूमाल था तेरा..

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2 MAR AT 15:56

रुख़सत मिले रूह को, तो ये ख़ुदा में मिल जाए।
ख़ुदा दे इजाज़त तो, अपने बिछड़ों से मिल जाए।।
सजदा नही होता, न होती है इबादत मुझसे।
ख़ुदा माफ़ करे मुझको, तो मुझे जिंदगी मिल जाए।।

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21 FEB AT 13:51

चाँद सी हो न हो फर्क नहीं,
दिल उसका अच्छा होना चाहिए,
खाना बनाना भले न आता हो,
मग़र चाय बनाने वाली चाहिए,
नोकरी करे न करे इच्छा है उसकी,
बड़ो का आदर करना आना चाहिए,
ज्यादा कुछ नहीं बस छोटे छोटे ख़्वाब है,
उन्हें पूरा करने को एक हमसफ़र चाहिए।

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15 JAN AT 21:49

तेरे आने की ख़ुशी तो बहुत थी
मग़र, तेरे जाने का कोई गम नहीं,
चाह कर भी हो न पाऊँगा नाराज़,
ज़िंदगी में मेरी अब तेरी जगह नहीं।

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7 JAN AT 23:21

वो प्रेम मेरा ठुकरा कर चली..
अश्रु नैनों से बहा कर चली
कर अंतिम नमन प्रीत मेरी को
शोक सगार में मुझे डुबा कर चली..
वो प्रेम मेरा ठुकरा कर चली...
पग में पहनीं लाज कि पेड़ी
मान का आंचल ओढ़ चली
बचपन खेली जिस आंगन में
उस आंगन का अंतिम वचन निभा कर चली..


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