ये, बात नहीं है
कि कोयी और, मुझे मिलता ही नहीं है
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मैंने कर दिए,, अल्फाज़,, जाया,
तुम्हें,, अपना,, महबूब,, दिले ख़ास,, कहने में
पर,, सिला- ए- मोहब्बत,, जब मिली
मैं इस कदर टूटा...
कि, सदमें सा उठने लगा , कहीं अंदर
उन लफ्जों के,, दोबारा,, अब स्तेमाल करने में
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