//ग़मों के क़ाफिले//
क़ाफिले हैं साथ तेरे , हैं ज़माने के मेले
मंजिल की है तलाश, हम चल रहे अकेले
कोई नहीं है इस जहाँ में अपना, हैं सब पराए
जब कोई अपना नहीं फ़िर किससे करें गिले
ऐ! नादान दिल , तुझे इंतज़ार किसका
तू चल मंज़िलों पर ,साथ तन्हाइयों को लेले
कितनी अजीब कहानी ,है तन्हाइयों की
इन तन्हाइयों में हँस ले, इन तन्हाइयों में रो ले
इन तन्हाइयों के पथ पर ,हँसता हुआ गुज़र तू
कृष्णा इस इश्क़ के मंज़िल में,है रास्ते कटीले
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