"सारे वादों को भुला सकती हूं
मगर रहने दो,
मै तुम्हें छोड़ के जा सकती हूं
मगर रहने दो,
तुम जो हर मोड़ पर कह देते हो
ख़ुदा हाफ़िज़ ,
फ़ैसला मैं भी सुना सकती हूं
मगर रहने दो,
तुमने जो बात की दिल को दुखाने
वाली उस पर मैं मुस्कुरा भी सकती हूं
मगर रहने दो,
शर्म आ जायेगी तुम्हें अपनी ही
बातों पर,
तुम्हारे वादे मैं तुम्हें याद दिला सकती हूं
मगर रहने दो,,
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